न शरणार्थियों का कहना है कि म्यांमार सरकार की ओर से वापस भेजे गए सात शरणार्थियों को अबतक नागरिक नहीं माना गया है. इन्हें एक पहचान पत्र एंबेसी की ओर से जारी किया गया है, जिस में इन्हें म्यांमार का रहने वा ला माना गया है लेकिन नागरिक का दर्जा नहीं दिया गया है. वहीं दूसरी ओर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पि छले महीने सितंबर में भारत में रह रहे रोहिंग्याओं पर बयान दिया था कि ये रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी नहीं हैं. इन्होंने नियमों का पालन कर शरण नहीं ली. मानवाधिकार की बात करने से पहले देश की सुरक्षा अहम है. ऐसे में रोहिंग्या शरणार्थियों का ड र बढ़ता जा रहा है. दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार लौटने से इनकार नहीं करते. लेकिन वो कहते हैं कि उन्हें नागरिक के तौर पर अपनी पहचान चाहिए. ये पहचान उन्हें यूएन के रिफ्यूज़ी पन्ने पर नहीं बल्कि एक देश के नागरिक के तौर पर चाहिए. मिट्टी की दीवारों वा ले के इस क़मरे पर टा ट की छत पड़ी है जो हवा से भी हिल जाती है. लेकिन मर्दिना के लिए ये अब यही उनका घर है. अपने कुछ महीने के बेटे को गोद में थामे वो कहती हैं, ''मेरे सामने मेरे